Share

जानकी जानकी मैं ना दूँ जानकी

रावण मंदोदरी से कहता है:-

जानकी जानकी मैं ना दूँ जानकी,
मैंने बाज़ी लगाई है जान की।

मुझको परवा नहीं अपनी जान की,
मैं चुरा लाया मैं राम की जानकी।
तेरा बीटा जला, मेरी लंका जली,
अब ना वापिस करूँगा मैं जानकी॥

मेरे महलो की रानी बने जानकी,
तेरे पास बिठाऊंगा मैं जानकी।
मेरे मन में बसी उस दिन जानकी,
जब सवमवर में देखि थी जानकी॥

पार होगा वोही जिसे पकड़ेंगे राम,
जिस को छोड़ेंगे पल भर में डूब जाएगा।
मुझको चिंता नहीं अपनी जान की,
मुझको चिंता लगी है उसकी जान की।
मैंने खायी कसम अपनी जान की,
मरते दम तक ना दूंगा मैं जानकी॥

You may also like