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यशोदा मैया खोल कीवडिया लालो आयो गाय चराय

यशोदा मैया खोल किवड़िया,
लालो आयो गऊ चराय,

गऊ गोप ग्वालन गऊ संग , बंशी मधुर बजाय,
सुन गोपी जन मन हर्षित भई, चढ़ी अटारी जाय,
यशोदा मैया खोल किवड़िया–

यशोदा मैया करे आरती , फूली नाय समाय,
हँस -हँस लेत बलैयाँ मैया, बार बार बली जाय .
यशोदा मैया खोल किवड़िया—

खिडक खोल कर दीन्ही गईया , बछड़ा रहे चुखाय ,
कारी काजर, धोरी धूगर को रहयो दूध दुहाय
यशोदा मैया खोल किवड़िया–

दुध दुहाय कहे मनमोहन, माखन दे रही माय,
सदलोनी तो होए सवेरो लाला ,पीओ दूध अधाय
यशोदा मैया खोल किवड़िया—–

इतने में एक सखी साँवरी , टेरण पहुँची आय
गोविन्द मोको दूध ना देवे, गैया रही रम्भाय
यशोदा मैया खोल किवड़िया—

सखी साँवरी की मनमोहन ने , जाय दुहाई गाय
आधो दूध दोहन में डारो, आधो रह्यो चढ़ाय
यशोदा मैया खोल किवड़िया—

सखी साँवरी कहने लागी , मधुर-मधुर मुस्काय
सूर श्याम यशोदा के लाला , नित्य दुहावन जाय
यशोदा मैया खोल किवड़िया—

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