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आजा हारे के सहारे

आँखों के आँसू, हर पल पुकारे,
आजा हारे के सहारे xll”-ll

गहरी नदी है, तेज़ है धारा l
रात अँधेरी, दूर किनारा ll
माँझी बनकर, करके तूँ ही तो,
सबको पार उतारे,,,
आजा हारे के सहारे xll”

आस की माला, टूट गई है,
शायद किस्मत, रूठ गई है ll
ग़ैर हो गए, जो थे अपने,
हम अपनों से हारे,,,
आजा हारे के सहारे xll”

ऐसा कोई, नज़र न आए,
जो इस दिल को, धीर बँधाए ll
जो देखे थे, सपने मैंने,
चूर हो गए सारे,,,
आजा हारे के सहारे xll”

देर करो न, कृष्ण कन्हईया,
पार लगा दो, मेरी नईया ll
कैसे फ़ूल, खिलेंगे बेधड़क,
यह पतझड़ के मारे,,,
आजा हारे के सहारे xll”
आँखों के आँसू, हर पल पुकारे,
आजा हारे के सहारे xll”

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