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कन्हिया तुम्हि एक नजर देखना है

कन्हिया तुम्हि एक नजर देखना है
जिधर तुम छुपे हो उधर देखना है

विधुर भीलनी के जो घर तुमने देखे
तो तुम को हमारा भी वो घर देखना है

उबारा था जिस कर से गीध ओर गज को
हमे उन हाथों का हुनर देखना है

टपकते हैं द्रग बिंदु तुमसे ये कहकर
तुम्हे अपनी उल्फत में तर देखना है

अगर तुम हो दीनो के आहो के आशिक
तो आहो का अपना असर देखना है

Uploaded by: सुशील कुमार शर्मा

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