तू प्रभ दाता दान मत पूरा
सतनाम श्री वाहेगुरु,
तू प्रभ दाता, दान मत पूरा,
हम थारे, भीखारी जिओ,
मैं क्या माँगू किछ थीर ना रहाई,
हर दीजै नाम प्यारी जिओ
तू प्रभ दाता…
घट-घट रव रह्या बनवारी,
जल-थल महिअल गुप्तो वरतै,
गुरु शब्दि देख निहारी जीओ,
तू प्रभ दाता..
मरत प्याल, आकाश दिखायो,
गुरु सतगुर कृपा धारी जिओ,
सो ब्रम्ह अजोनि है भी होनी,
घट भीतर देख मुरारी जिओ,
मैं क्या माँगू,
तू प्रभ दाता…
जन्म-मरण को, एहो जग बपड़ों,
इन् दूजै भगत विसारि जिओ,
सतगुरु मिलै ता गुरमत पाइये,
साकत बाजी हारी जिओ,
मैं क्या माँगू…
सतगुरु बंधन तोड़ निरारे,
बहोर ना गर्भ मंझारी जिओ,
नानक ज्ञान रतन परगास्यां,
हर मन वस्या निरंकारी जिओ,
मैं क्या माँगू…
तू प्रभ दाता।।।
सतनाम वाहेगुरु।।।